तुम हो...
- Anilesh Kumar
- Feb 28
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कहीं उस पार ख्वाबों की ज़मीन पर मैं हूँ, तुम हो
धुंध है गहरी पर यक़ीन है कि मैं हूँ, तुम हो
ये समंदर की लहरों पर नाचता अँधेरा
ये बूंदों के आगे बादल का पहरा
हवा सर्द हो चली है और तारे दूर हैं
सिरहाने चाँद बैठा है कि मैं हूँ, तुम हो
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